Firaq Gorakhpuri Shayari | फिराक गोरखपुरी की शायरी

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Firaq Gorakhpuri Shayari

Firaq Gorakhpuri Shayari

बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मालूम,
जो तेरे हिज्र में गुजरी वो रात रात हुई।

तेरे आने की क्‍या उम्‍मीद
मगर कैसे कह दूं कि इंतजार नहीं।

एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें,
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं।

दर्द को हंसकर जीना क्या,
सीख लिया सबको लगा,
मुझे तकलीफ नही होती।

तुम मुखातिब भी हो करीब भी हो,
तुम को देखें कि तुमसे बात करें।

कोई समझे तो एक बात कहूँ,
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं।

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं,
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं।

किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी।

फिराक गोरखपुरी की शायरी

Firaq Gorakhpuri Shayari

कोई नयी ज़मीं हो, नया आसमाँ भी हो,
ए दिल अब उसके पास चले, वो जहाँ भी हो।

मुस्कुराहट पर तो हजारों फिदा होते हैं,
बात तो तब बने जब आँसुओ का भी,
कोई हिस्सेदार हो।

हम से क्या हो सका मोहब्बत में,
ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की।

इक उम्र कट गई है तिरे इंतिजार में,
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिन से एक रात।

मैं मुद्दतों जिया हूँ किसी दोस्त के बगैर,
अब तुम भी साथ छोड़ने को कह रहे हो खैर।

मैं हूँ दिल है तन्हाई है,
तुम भी होते अच्छा होता।

अब तो उन की याद भी आती नहीं,
कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ।

मौत का भी इलाज हो शायद
ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं।

Firaq Gorakhpuri Shayari In Hindi

Firaq Gorakhpuri Shayari

ये कैसी ख्वाहिश है के मिटती ही नहीं,
जी भर के तुझे देख लिया फिर भी,
नजर हटती नहीं।

असर भी ले रहा हूँ तेरी चुप का,
तुझे क़ाइल भी करता जा रहा हूँ।

जिस में हो याद भी तिरी शामिल,
हाए उस बे-ख़ुदी को क्या कहिए।

आए थे हँसते खेलते मय-खाने में फिराक,
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए।

न कोई वा’दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद,
मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था।

मौत का भी इलाज हो शायद,
जिंदगी का कोई इलाज नहीं।

अब तो उन की याद भी आती नहीं,
कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ।

शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास,
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं।

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